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2 wonders of Indian Railways USBRL PROJECT STATUS and New Pamban Bridge
आज हम भारतीय रेलवे के उन दो चमत्कारों की बात करने वाले हैं जिसमें से एक चमत्कार तो भारत में पहली बार हुआ है और दूसरा चमत्कार तो दुनिया में आज तक नहीं हुआ आज हम आपको भारतीय इंजीनियर्स के उस अद्भुत कारनामे के बारे में बताएंगे जिसे पूरा करने का सपना तो भारत सदियों से देखता था लेकिन आज तक वह पूरा नहीं कर पाया था पर अब वह सपना साकार हो रहा है रेलवे के इन दो चमत्कारों में पहला चमत्कार (usbrl project ) जम्मू-कश्मीर में पहाड़ियों के ऊपर बना हुआ है जहां चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा आइकॉनिक आर्क रेलवे पुल बनकर तैयार है इसका नाम है चिनाब ब्रिज (chenab bridge )और दूसरा चमत्कार रेलवे ने भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में किया है जहां रामेश्वरम में समुंदर पर भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज बना है जो जहाज के आने पर ऊपर चला जाता है जिससे जहाज दो पिलर्स के बीच से आराम से गुजर जाता है इसका नाम है पंबन ब्रिज ( New Pamban Bridge).
New Pamban Bridge and Chenab Bridge
हम इंजीनियरिंग के इन्हीं दो शानदार नमूनों की बात करेंगे आपको बताएंगे कि कैसे असंभव से दिखने वाले लक्ष्य को भारत ने अब हासिल कर लिया है
अब बात करते हैं तमिलनाडु में समुद्र पर बने पंबन ब्रिज की आप कल्पना कीजिए समंदर में आपपानी वाले किसी बड़े जहाज से जा रहे हो और सामने एक पुल आ जाए आप यही सोचेंगे कि अगर जहाज आगे बढ़ा तो पुल की छत से जहाज की टक्कर हो जाएगी लेकिन तमिलनाडु में मंडपम से श्वर के बीच समंदर पर बना यह पुल अलग है जैसे ही जहाज इस पुल के करीब पहुंचता है इस पुल का एक हिस्सा ऊपर की ओर उठ जाता है यानी दो पिलर्स के बीच जो स्पैन होता है वह ऊपर उठ जाता है और जहाज आराम से वहां से क्रॉस कर जाता है इंजीनियरिंग के
इस शानदार नमूने को पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) का नाम दिया गया है इस पुल की लंबाई 2 किमी के करीब है पिलर्स समंदर में 35 मीटर की गहराई में है 100 स्पैन और 63 मीटर की नेविगेशन स्पैन है पुल पर ट्रेन 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है करीब 560 करोड़ की लागत से इसका निर्माण आखिरी स्टेज में है

खास बात यह है कि अगर समंदर में 58 मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी तो पुल में लगा अलर्ट सिग्नल एक्टिव हो जाएगा और उस दौरान पुल से ट्रेन नहीं गुजर पाएगी यानी सुनामी और तूफान से पुल और ट्रेन को कोई खतरा नहीं होगा पूरे भारत में समंदर पर इस तरह का यह पहला पुल है जो जहाज के आने पर ऊपर की तरह उठ जाता है और जहाज वहां से आसानी से निकल जाता है लेकिन रेलवे जो चमत्कार 2023 में कर रहा है उसकी कहानी 109 वर्ष पुरानी है यानी तमिलनाडु में जो (Pamban Bridge) पंबन ब्रिज बन रहा है वो भारतीय इंजीनियरिंग का पार्ट टू है

क्योंकि इसी न्यू पंबन ब्रिज से सिर्फ 18 मीटर की दूरी पर है ओल्ड पंबन ब्रिज जिसे 109 वर्ष पुराना होने के कारण बंद कर दिया गया है
दरअसल 1914 में तमिलनाडु के मंडपम से रामेश्वरम के बीच समुंदर पर पहला पुल बना था नाम था ब्रिज नंबर 346 ये चमत्कार
तब हुआ था जब टेलीविजन एक सपना था जब एलोपैथिक दवाइयों की गोलियां भी नहीं बनती थी और रॉकेट साइंस को समझना नामुमकिन सा काम था तभी अंग्रेजों की अगुवाई में भारतीय इंजीनियर्स ने समंदर पर 2 किमी लंबा पुल बना दिया था इस पुल की टेक्नोलॉजी भी करीब-करीब वैसी ही थी कि जब कोई जहाज आए तो व खुल जाए जैसे ही जहाज पुल के करीब पहुंचता था तो वहां ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी दोनों तरफ से ब्रिज का आधा-आधा हिस्सा उठा देते थे और जहाज वहां से क्रॉस कर जाता था हालांकि इंजीनियरिंग के इस मार्वल ने एक बहुत बड़ा हादसा भी देखा जब 1964 में दिसंबर के ही महीने में ट्रेन नंबर 653 तमिलनाडु के पंबन रेलवे स्टेशन से धनु कोडी की तरफ निकली थी लेकिन
बीच में ही जब यह ट्रेन पंबन ब्रिज पर थी तो चक्रवाती तूफान की चपेट में आकर समंदर में समा गई इस ट्रेन हादसे में 200 लोगों की मौत हो गई थी
इस तूफान की तबाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि धनुषकोडी रेलवे स्टेशन का नामो निशान ही मिट गया था लेकिन उस समय भी भारतीय इंजीनियर्स ने हार नहीं मानी थी उस पंपन ब्रिज को फिर से ठीक कर चलने लायक बना दिया गया था हालांकि इस हादसे के कारण इस ब्रिज से ट्रेन सिर्फ 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ही चल पा रही थी और 2014 तक यही सिलसिला चलता रहा जब 2014 में पंबन ब्रिज अपना 100वां जन्मदिन मना रहा था तो रेलवे ने सोचा क्यों ना हम नई टेक्नोलॉजी से एक नया ब्रिज बना लें पाच वर्षों की
प्लानिंग के बाद 2019 में इसका कंस्ट्रक्शन शुरू हो पाया लेकिन इस नए ब्रिज में पुराने ब्रिज की तरह बीच से खुलने का सिस्टम नहीं था बल्कि दो पिलर्स के बीच से पूरा का पूरा ऊपर की तरफ लिफ्ट हो जाता है ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका यूरोप और चीन जैसे मॉडर्न देशों में होता है और जब ऐसा होता है तो जहाज आसानी से पुल के नीचे से क्रॉस कर जाता है, पंबन ब्रिज समंदर पर बना भारत का दूसरा सबसे बड़ा पुल है लेकिन एक सच यह भी है कि यह रेलवे का समंदर पर बना पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज है
पंबन ब्रिज भारत के शानदार इतिहास और सुनर भविष्य का सबसे बेहतरीन उदाहरण है अगले कुछ महीने में इसे पूरी तरह से तैयार कर रेलवे को सौंप दिया जाएगा जिसके बाद मंडपम से रामेश्वरम के बीच समुंदर के ऊपर से रेल यात्रा शुरू हो जाएगी अगर आप कभी तमिलनाडु जाएं तो पंबन ब्रिज से रेल यात्रा जरूर करें पंबन ब्रिज के बाद अब बात करते हैं
रेलवे के दूसरे चमत्कार की दक्षिण भारत में ट्रेन पानी के ऊपर से रफ्तार भरेगी तो उत्तर भारत के जम्मू कश्मीर में बादलों के बीच से ट्रेन चलाने की तैयारी हो चुकी है जम्मू कश्मीर के रियासी में भारतीय इंजीनियरों ने वो कर दिखाया है जो दुनिया में पहले कभी नहीं हुआ था
भारतीय इंजीनियर्स ने नदी से 359 मीटर की ऊंचाई पर एक ऐसा पुल बना दिया है जो बादलों के बीच लहराती हुई दिखती है ये पुल 359 मीटर यानी 1178 फीट की ऊंचाई पर है आसान शब्दों में समझे तो 117 मंजिला इमारत से ऊंचे पुलक निर्माण किया गया है चिनाब नदी पर बना यह (chenab bridge ) रेल पुल पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की मॉडर्न इंजीनियरिंग का शानदार मॉडल है इसकी पहचान विश्व के सबसे ऊंचे आर्क रेलवे ब्रिज के तौर पर बन गई है इसे नाम दिया गया है चिनाब ब्रिज रियासी का चिनाब ब्रिज (chenab bridge ) एफएल टावर जिसकी ऊंचाई 324 मीटर है उससे भी 35 मीटर ऊंचा है
गुजरात के स्टैचू ऑफ यूनिटी जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है उससे करीब दो गुना ऊंचा है न्यूयॉर्क के स्टैचू ऑफ लिबर्टी जिसकी ऊंचाई 93 मीटर है उससे करीब चार गुना ऊंचा है और दिल्ली का कुतुब मीनार जिसकी ऊंचाई 73 मीटर है उससे लगभग पाच गुना ऊंचा है चिनाव ब्रिज नॉर्मल पिलर वाला ब्रिज नहीं है

यह आर्क ब्रिज है इस कैटेगरी में यह दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज माना जा रहा है इसकी ऊंचाई 359 मीटर तो लंबाई 1.13 किमी है करीब 1486 करोड़ की लागत से बने इस ब्रिज को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि 120 वर्षों तक इसे कुछ नहीं होगा इस पर 266 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं का भी कोई असर नहीं होगा चिना ब्रिज पर 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेन चल सकेगी और तो और – 10° से 40° के तापमान तक इस पर कोई असर नहीं होगा इस चुनाव ब्रिज को बनाने में 2866 मेट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है

इस ब्रिज के आर्क का वजन ही 1061 मेट्रिक टन है इसमें करीब 2 लाख नट बोट लगे हैं और 17 पिलर हैं चिना ब्रीज देश में पहला ऐसा पुल है जो ब्लास्ट लोड के लिए डिजाइन किया गया है
यह आर्क ब्रिज रिक्टर स्केल पर आठ तीव्रता के भूकंप का सामना करने में सक्षम होगा और 30 किग्रा के विस्फोटकों से होने वाले ब्लास्ट भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे यह पोल सलाल और दुग्गा रेलवे स्टेशंस को रियासी जिले में चिनाब नदी से जोड़ेगा चिनाब ब्रिज उधमपुर श्रीनगर बारामुला रेल लिंक प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसके जरिए श्रीनगर को पूरे देश से जोड़ा जाना है ऐसा कहा जाता है कि चिनाव ब्रिज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन इसे बनाना इतना आसान नहीं था वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेई के सरकार ने चिनाव ब्रिज को बनाने के लिए अप्रूवल दिया वर्ष 2008 में यानी अप्रूवल के 5 वर्ष बाद ब्रिज का डिटेल प्लान तैयार किया गया वर्ष 2009 में रेलवे बोर्ड ने चिनाव ब्रिज को मंजूरी दी वर्ष 2012 में इसके निर्माण का काम शुरू हुआ और जिम्मेदारी मिली कोकन रेलवे को चिनाव ब्रिज को हिमालय के दो पहाड़ों के बीच तैयार करना बेहद कठिन रहा यहां कनेक्टिविटी का अभाव था
इंफ्रास्ट्रक्चर तक नहीं था और तो और जरूरी संसाधनों का इंतजाम करना भी चुनौतीपूर्ण था बिजली तक का अभाव था जिसके कारण पहले लोकल स्तर पर बिजली पैदा करने की तैयारी की गई अब करीब 20 साल में यह पुल बनकर तैयार हो गया है यह ब्रिज दुनिया के सामने एक अजूबे की तरह है अगले कुछ दिनों में इस पर ट्रेन चलने की उम्मीद है यानी 20 वर्ष पुराना सपना साकार हो गया है





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